Monday, 20 July 2015

आचार्य सतीश अवस्थी 
क्यूँ डरे की कल जिन्दगी मे क्या होगा,
हर वक्त क्यूँ सोचे की कुछ बुरा होगा,
बढ़ते रहें बस मंजिलो की ओर,
कुछ नही तो कोई तजुर्बा तो नया होगा
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